भस्मासुर और शिव जी की कहानी | Bhasmasur and Shiv Ji Story in Hindi

महाशिवरात्रि हिंदू धर्म का एक प्रमुख पर्व है, जिसे भगवान शिव के भक्त बड़ी श्रद्धा(Faith) और उत्साह(Enthusiasm) के साथ मनाते हैं। इस दिन भगवान शिव की पूजा-अर्चना की जाती है और उनकी दिव्य कथाओं का पाठ किया जाता है। महाशिवरात्रि के अवसर पर भस्मासुर और भगवान शिव की कहानी(Bhasmasur and Shiv Ji Story in Hindi) बहुत प्रसिद्ध है। यह कथा न केवल रोचक है बल्कि इसमें एक गहरी शिक्षा(Learning) भी छुपी हुई है।

भस्मासुर और शिव जी की कहानी | Bhasmasur and Shiv Ji Story in Hindi

Bhasmasur and Shiv Ji Story in Hindi

भस्मासुर की उत्पत्ति

प्राचीन काल में एक राक्षस था, जिसका नाम भस्मासुर था। वह एक अत्यंत शक्तिशाली और महत्वाकांक्षी असुर था, जो अमरत्व प्राप्त करना चाहता था। अपनी इस इच्छा को पूरा करने के लिए, उसने भगवान शिव(Shiv) की घोर तपस्या करनी शुरू कर दी।

भस्मासुर ने वर्षों तक कठिन तपस्या की। उसकी भक्ति से प्रसन्न(Happy) होकर भगवान शिव प्रकट(Visual) हुए और उससे वरदान(Boon) मांगने को कहा।

वरदान की माँग और दुरुपयोग

भस्मासुर ने अत्यंत चालाकी से भगवान शिव से ऐसा वरदान माँगा कि वह जिसके सिर पर हाथ रखेगा, वह तत्काल भस्म हो जाएगा। भोलेनाथ अपनी स्वाभाविक दयालुता(Kindness) के कारण इस वरदान को देने के लिए तैयार हो गए। जैसे ही भस्मासुर ने यह वरदान प्राप्त किया, उसने अपने अहंकार(Arrogance) और शक्ति(Power) के नशे में भगवान शिव पर ही इसका प्रयोग करने का विचार किया।

भगवान शिव का संकट

भगवान शिव को जैसे ही भस्मासुर के इरादों का पता चला, वे तुरंत वहां से निकल गए और बचने के लिए भगवान विष्णु की शरण में पहुंचे। भगवान विष्णु ने स्थिति को समझते हुए एक योजना बनाई।

मोहिनी के सौंदर्य से मोहित

भगवान विष्णु ने स्वयं को मोहिनी का रूप में धारण किया। मोहिनी इतनी अद्भुत और सुंदर(Beautiful) थी कि भस्मासुर उसकी सुंदरता पर मोहित हो गया। उसने मोहिनी से विवाह करने की इच्छा प्रकट की। मोहिनी ने शर्त रखी कि भस्मासुर को पहले उसके साथ नृत्य(Dance) करना होगा।

भस्मासुर का अंत

नृत्य के दौरान मोहिनी ने एक ऐसी मुद्रा(Posture) बनाई जिसमें उसने अपने सिर पर हाथ रखा। भस्मासुर ने भी अनजाने में वही मुद्रा दोहराई और जैसे ही उसने अपने सिर पर हाथ रखा, वह स्वयं ही भस्म(Cinder) हो गया। इस प्रकार भगवान विष्णु ने अपनी बुद्धिमत्ता से भोलेनाथ(Bholenath) को संकट से मुक्त कराया।

कथा से सीख(Lesson from The Story)

इस कहानी से हमें यह शिक्षा(Learning) मिलती है कि शक्ति का दुरुपयोग करने से स्वयं का ही नाश हो जाता है। अहंकार और लालच(Greed) मनुष्य के पतन का कारण बनते हैं। महाशिवरात्रि पर यह कथा हमें यह भी सिखाती है कि भगवान शिव करुणा(Compassion) और दयालुता के प्रतीक हैं, लेकिन उनके भक्तों को सदैव धर्म(Faith) और नैतिकता के मार्ग पर चलना चाहिए।

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निष्कर्ष(Conclusion)

महाशिवरात्रि(Mahashivratri) केवल एक पर्व नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और भगवान शिव की भक्ति का अवसर भी है। इस दिन शिवलिंग का पूजन, व्रत और रात्रि जागरण करने से विशेष फल की प्राप्ति होती है। इस अवसर पर भस्मासुर की कहानी(Bhasmasur Story) हमें यह भी सिखाती है कि शक्ति(Power) और ज्ञान(Knowledge) का सदुपयोग करना चाहिए, अन्यथा उसका परिणाम विनाशकारी हो सकता है।

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