मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन | Munshi Premchand Quotes in Hindi

मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने जीवन में लगभग 300 कहानियाँ और 14 उपन्यास लिखे। उनकी प्रमुख रचनाओं में गोदान, गबन, निर्मला, सेवासदन, कर्मभूमि आदि शामिल हैं। प्रेमचंद जी का साहित्‍य लेखन आज से सालों पहले हुआ, लेकिन इसमें कोई शक नहीं है कि उनकी रचनाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उनके लेखन काल में रही होंगी।

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

चाहे बात किसी गृहणी की हो, किसी युवा महिला की हो, किसी किशोर की हो, किसी छात्र के मन की हो या फिर नौकरी और राजमर्रा की जरूरतों के प्रयासों में लगे किसी नौकरी पेशे की, मुंशी प्रेमचंद ने सभी के लिए कुछ न कुछ संदेश जरूर दिए है। आइये आज नजर डा़लते हैं मुंशी प्रेमचंद जी के अनमोल वचनों(Munshi Premchand Quotes in Hindi) पर, जो आपको उन हालातों में हौंसला देने का काम करेंगे, जब आप अपने करियर और नौकरी या किसी अन्य दुविधा में फंसे हुए हो।

मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय(Munshi Premchand Biography in Hindi)

मुंशी प्रेमचंद जी का जन्म 31 जुलाई सन 1880 को वाराणसी के लमही नामक गाँव में हुआ था। उनका असली नाम धनपत राय श्रीवास्तव था। मुंशी प्रेमचंद हिंदी और उर्दू साहित्य के महानतम लेखकों में से एक माने जाते हैं। उनके पिता अजायबराय एक डाकघर में काम किया करते थे और माँ आनंदी देवी एक धार्मिक महिला थीं। मुंशी प्रेमचंद की शिक्षा बनारस और इलाहाबाद में हुई।

Munshi Premchand Biography in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद का जीवन परिचय

मुंशी प्रेमचंद का साहित्यिक करियर उर्दू लेखन से शुरू हुआ था और उन्होंने ‘नवाब राय’ के नाम से अपनी प्रारंभिक कहानियाँ लिखीं थी। बाद में, उन्होंने हिंदी साहित्य की ओर रुख करते हुए ‘प्रेमचंद’ नाम से लिखना शुरू किया था। उनकी कहानियाँ समाज के विभिन्न पहलुओं को उजागर करती है और ग्रामीण जीवन की सच्ची तस्वीर को प्रस्तुत करती है।

मुंशी प्रेमचंद जी ने अपने जीवन में लगभग 300 कहानियाँ और 14 उपन्यास लिखे। उनकी प्रमुख रचनाओं में गोदान, गबन, निर्मला, सेवासदन, कर्मभूमि आदि शामिल हैं। उनके साहित्य में समाज की कुरीतियों, आर्थिक विषमताओं और जातिवाद की गहरी आलोचना मिलती है। वे मानते थे कि साहित्य समाज का दर्पण होता है और इसके माध्यम से समाज को सुधारने का कार्य करना चाहिए।

मुंशी प्रेमचंद ने शिक्षक के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी और बाद में उन्होंने सरकारी नौकरी भी की, लेकिन साहित्य लेखन के प्रति उनके समर्पण ने उन्हें एक पूर्णकालिक लेखक बना दिया था जिसके कारण आज वे इस दुनिया में मशहूर है।

मुंशी प्रेमचंद का निधन 8 अक्टूबर 1936 को हुआ था, लेकिन उनकी रचनाएँ आज भी प्रासंगिक हैं और समाज को नयी दिशा देने का कार्य कर रही हैं। उनके साहित्यिक योगदान ने हिंदी साहित्य को एक नई ऊँचाई दी और वे साहित्य प्रेमियों के लिए सदा अमर रहेंगे।

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Munshi Premchand Quotes in Hindi | मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

क्रोध, मौन सहन नहीं कर सकता हैं। मौन के आगे क्रोध की शक्ति कुछ भी नहीं होती है।

नमस्कार करने वाला व्यक्ति विनम्रता को ग्रहण करता है और समाज में सभी के प्रेम का पात्र बन जाता है।

क्रोध में मनुष्य अपने मन की बात नहीं कहता है, वह केवल दूसरों का दिल दुखाना चाहता है।

आकाश में उड़ने वाले पंछी को भी अपना घर याद आता ही है।

आत्मा की हत्या करके अगर स्वर्ग भी मिले, तो वह नरक है।

Small Thoughts in Hindi and English | छोटे-छोटे अनमोल विचार

Motivational Munshi Premchand Quotes in Hindi

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

अन्याय में सहयोग देना, अन्याय करने के समान ही होता है।

कुल की प्रतिष्ठा भी सदव्यवहार और विनम्रता से होती है, अहंकार और रौब दिखाने से नहीं।

विपत्ति से बढ़कर, अनुभव सिखाने वाला कोई विद्यालय आज तक नहीं खुला है।

आत्म सम्मान की रक्षा, हमारा सबसे पहला धर्म है।

जन-समूह विचार से नहीं, जोश से काम करता है। समूह में ही अच्छे कामों का नाश होता है और बुरे कामों का भी।

कार्यकुशल व्यक्ति की सभी जगह जरुरत पड़ती है।

Love Munshi Premchand Quotes in Hindi

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

संसार के सारे नाते स्‍नेह के ही नाते हैं, जहां स्‍नेह नहीं वहां कुछ नहीं है।

स्त्रियों में गहरा स्नेह होता है। पुरुषों की भांति उनकी मित्रता केवल पान-पत्ते तक ही समाप्त नहीं हो जाती।

स्त्री गालियां सह लेती है, मार भी सह लेती है, लेकिन मायके की निंदा उससे नहीं सही जाती।

मन एक चंचल शत्रु है जो सदैव पीठ के पीछे से वार करता है।

अपमान को निगल जाना चरित्र-पतन की अंतिम सीमा है।

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Life Munshi Premchand Quotes in Hindi

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

जनता क्रोध में अपने को भूल जाती है और मौत पर हँसती है।

जीवन का वास्तविक सुख, दूसरों को सुख देने में है, उनका सुख लूटने में नहीं।

अतीत चाहे दु:खद ही क्यों न हो, उसकी स्मृतियाँ हमेशा मधुर होती हैं।

जो अपने घर में ही सुधार न कर सका हो, उसका दूसरों को सुधारने की चेष्टा करना बड़ी भारी गलती है।

खाने और सोने का नाम ही जीवन नहीं है, आगे बढ़ते रहने की लगन ही जीवन है।

पसीने की कमाई खाने वालों का दिवाला नहीं निकलता, दिवाला उन्हीं का निकलता है जो दूसरों की कमाई खा-खाकर मोटे होते हैं।।

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Self Motivation Munshi Premchand Quotes in Hindi

Munshi Premchand Quotes in Hindi _ मुंशी प्रेमचंद के अनमोल वचन

कर्तव्य कभी आग और पानी की परवाह नहीं करता है। कर्तव्य-पालन में ही मन की शांति है।

आदमी का सबसे बड़ा शत्रु उसका अहंकार ही है।

आत्मा तर्क से परास्त हो सकती है लेकिन परिणाम का भय तर्क से नहीं होता, वह पर्दा चाहता है।

बूढो के लिए अतीत में सुख और वर्तमान के दुःख और भविष्य के सर्वनाश से ज्यादा मनोरंजक और कोई प्रसंग नहीं होता।

अपनी भूल अपने ही हाथों से सुधर जाए तो यह उससे कई गुना अच्छा है कि कोई दूसरा उसे सुधारे।

निष्कर्ष(Conclusion) : उम्मीद है दोस्तों आपको मुंशी प्रेमचंद के ये अनमोल वचन और छोटा जीवन परिचय जरूर पसंद आया होगा। इस जानकारी को अपने परिवार, दोस्तों और सोशल मिडिया पर जरूर शेयर करे। ऐसी और जानकारी के लिए हमारे साथ जुड़े रहे। और Comment 👇 करना ना भूले। धन्यवाद

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